रास्ता अपना

Saturday, 15 November 2014

Once upon time in Delhi metro

                  शाम का वक्त मेट्रो स्टेशन पर भीड़ की कमी साफ तौर पर देर रात को बयॉं कर रही थी और न सिर्फ मुझे बल्कि हर किसी को शाम होते ही घर पहुंचने की जल्दी होती है और स्वभाविक भी है क्योंकि घर ही तो वह जगह है जहां दिन भर की थकान से सुकून मिलती है|
                     मेट्रो डेस्टीनेशन बोर्ड(LED screen) में your next train after 4minute देख मैं जरा सुस्ताने कि सोचा और platform से जरा सा हट कर दीवार के सहारे खड़े होकर आंखे बंद कर लिया|इतना होते ही मेरा दीमाग Zone of Comfort में चला गया और मैं इसी Zone में खोया रहा इस कदर कि'''... ,.....   बताता हुँ धैर्य रखो|
                           मेरे कानों में आवाज आई:-बाबू!!मालवीय नगर किधर से
जाएगी??आवाज जरा काफी तेज थी|यहाँआपको और एक बात बताता हुँ दिल्ली मेट्रो में कौनसी गाड़ी कहॉं जाएगी ये नहीं पूछा जाता क्योंकि स्टेशन दो भागों में बंटी होती है और यदि आप सही साइड पर खड़े हो तो मेट्रो आपको आपके destination तक पहुंचा देती है इसलिए मुझसे जो सवाल पूछा गया था वह जाहिर सी बात थी|अब मुद्दे पर लौटते हैं आवाज तेज होने के कारण मैं Zone of Comfort से चौंकते हुए आंखे खोला तो मेरे चेहरे के सामने एक चेहरा नजर आया|उनका चेहरा मेरे चेहरे से इतना करीब था जितना कि हम अपने close friend से interact करते हैं फिर मैं अपने में remind करने लगा और उन्हें surely बता दिया कि आपको यहीं से मेट्रो मिलेगी|इतने में मुझे metro station पर enter करती हुई दिखी तो मैंने बाबा(पापा) कह कर इसारे से चलने को कहते हुए welcome किया क्योंकि मैं समझ चुका था कि वे पहली दफा ही metro में travel कर रहे है|मैं Google map(GPS) open करते हुए उनसे कहा कि 2minute ठहरिए मैं आपको सारी details देता हुँ|मेरी नजर screen पर focus रही|जब details मिल गई तो मैंने सिर उठाया और चारों ओर नजरें दौड़ाने लगा|यह देख seat पर बैठे सज्जन समझ गये कि मैं अपने साथ खड़े व्यक्ति को ढुंढ रहा हुँ तो उन्होने नजरें दौड़ा कर ही मुझे इसारा कर दिया मैंने काफी दूर जाते हुए उस व्यक्ति को देखा|पहनावे और
सोच से तो मुझे वो stereotype लगे|
                    अब मैं मनन करने लगा और मुझे feel हुई कि मुझमें इतनी अव्यवहारिकता है जो मैं एक व्यक्ति को convince नहीं कर सका फिर जरा उल्टा सोचा कि व्यक्ति ने मुझे gadget किड़ा समझा होगा या फिर irresponsible. But I'm sure कि उसने मुझे gadget किड़ा ही समझा होगा क्योंकि मैं उस अनजान व्यक्ति से interact करते वक्त  GPS पर  Malviya nagar  track कर रहा था|
                  खैर जो भी हो मेरी मंशा उन्हें misguide करने कि बेशक नहीं थी|मैं तो उन्हें GPS के through official information देना चाह रहा था|इस आपबिती के जरिए मैं आपको यह बताने कि कोशिश कर रहा हुँ कि हम सब तो technology को अपने से आत्मसात(assimilate) कर लिए पर समाज का काफी बड़ा तबका उस strange person वाली mentality से दो चार हो रहा है और अपनों के बीच ही पराया feel कर रहा है reason is clear they dominated only and only Stereotype mentality..and we cannot change their attitude so focus on forthcoming generation.
                           With hopefully
                               VIVEK XESS
       "रास्ता अपना बनाओ,उसे अपनाओ"

No comments:

Post a Comment