रास्ता अपना

Saturday, 17 January 2015

एक सलामी-सलामत रहने के लिए

             हर बार की तरह इस बार भी मैं आपबीती लेकर आपके सामने हाजिर हूँ|जीवन मैं कई ऐसे उलझनें मौजूद हैं जिनके पीछे की सच्चाई तलाशना नामुमकीन तो नहीं कहुंगा लेकिन टेढ़ी खीर साबित होती अवश्य लगती है इसमें कोई दो राय नहीं|खैर जो भी हो मैं इस वक्त एक अनसुलझी/रहस्य आपसे शेयर कर रहा हुँ|
                      मैं शाम 6:00 बजे की बस द्वारा अंबिकापुर से बगीचा आ रहा था|बस में Rush की वजह से मुझे cabin की seat मिली|बस छूटने के करीब आधे-पौन घंटे में बस पहाड़ी तक पहुंची|ठंड की मौसम की वजह से सड़क पर काफी सन्नाटा पसरा था|यकीन नहीं हो रहा था कि नेशनल हाईवे पर ट्रैवल कर रहे थे खैर जो भी हो अब आगे बताता हुँ cabin seat पर बैठने की वजह से मैं सामने स्पष्ट तौर पर देख सक रहा था|बस जंगल से होकर गुजरने लगी कि तभी अचानक से हमारी बांयी तरफ से बिल्ली ने बस को क्रोस किया|

ड्राईवर ने तुरंत ही बस रोक दी और बस में light के लिए जलते सारे बल्ब्स ओफ कर दिये और बस भी एक ही झटके में ही रोक दी|  मुझसे ऐसा होना रहा नहीं गया पर मैंने खुद को रोका ,कुछ देर बाद बगल की सीट वाले से कहा-आपने वो सब देखा?
जवाब-हाँ!!बस ऐसे किया जाता है|
अब बस कुछ देर में आगे चल पड़ी|मैं संतोषप्रद जवाब चाहता था सो मैंने घर पहुंचकर पापा से पूछने का मन बना लिया|इतने में एक दूसरी बिल्ली बस को क्रॉस कर गई,इस बार भी ड्राईवर ने वही किया जो last incident में किया था बस इस बार बिल्ली छोटी थी और हमारी बांयी ओर से उसने हमें क्रॉस किया|
                 
घर पहुंचने के बाद मैंने पापा से पूछा यहां भी पहले जैसा ही जवाब मिला|
कारण जो भी पर पापा ने बताया कि ड्राईवर्स  में मान्यता है कि वो लोग सेफ्टी को ध्यान में रखकर ऐसा करते हैं|मैं तो ईस incident को सलामत रहने के लिए एक सलामी कहता हुँ|इस बारे अपनी राय मुझे कमेंट द्वारा दे सकते हैं बेहिचक...
      "रास्ता अपना बनाओ,उसे अपनाओ"
                   विवेक खेस्स

विवेकवाणी

   

AADIWASI CULTURE MEET-04

             भारत के दूरदराज इलाकों से आये महानुभावों की बस दो चिंताएँ निकलकर सामने आईं|
पहली,कहीं हालिया सरकार की हम आदिवासियों के  प्रति उदासीन रवैया "MAKE IN INDIA" के लिए पर्यावरण क्लियरेंस को आसान बनाने के रुप में हावी होती दिखती है|
दूसरी,हम युवा पीढ़ी की WESTERN जीवनशैली की ओर आकर्षित होना|
           रास्ता अपना बनाओ,उसे अपनाओ
                                                           विवेक खेस्स