प्रिय पाठक गण/बन्धुओ मेरे blog:http://www.vivekxess13.blogspot. com पर अपना बहुमूल्य समय invest करने के लिए मैं आपका सदैव आभारी रहुंगा|दरअसल मुझे blog create करने से पहले कुछ भी मालूम नहीं था जिसका खामियाजा आप सभी पाठकोॉ को उठाना पढ़ रहा हो तो I'm really sorry.कुछ दिनों बाद मैंने अपना personal domain name बनाने का फैसला किया है जो आपको blog address remember करे में easy होगी और तो और हमें browser पर too much long type नहीं करनी होगी|
कहानी पर आते हैं काफी पहले की बात है सियार और बगुले में गहरी मित्रता थी|बगुले से मित्रता करके सियार अपनी चालाकी स्वभाव भूल चुका था और दोनों मस्त enjoy, करते कभी सरोवर(तालाब) किनारे तो कभी नदिया तीरे|पर बगुला तो जल देख मचल उठता है और पानी में उतरते ही नन्हीं मछलियों का शिकार कर अपना पेट भर लेता है और सियार तो मछली पकड़ नहीं सकता दरअसल सियार पानी में जा ही नहीं सकता और खाना न खाना तो दूर की बात ठहरी|ऐसे ही कई दिन सियार को भु:खे ही सोने पड़तेपड़ते|बगुला चुपके से अपना पेट भी भर लेता और आकर पानी भी अपनी सुराही में
पीता|सियार बेचारा शाम को भी पानी नहीं पी पाता फिर भी है कि रिश्ते निभाता जा रहा था|एक दिन सियार की मां मेहमान आई और अपने बच्चे को बगुले के साथ पाकर ताज्जुब करने लगी|शिकार के साथ रहते हुए भी बेटा भु:खा है और उसने अपनी भाषा में बच्चे को कहा-अरे!मिंया छोटे शिकार के साथ रहकर भी हम भूःखे क्यूं हैं?क्योंकि हमने अपनी पहचान भूली है|
सियार(बच्चा)-मॉम!मैं कुछ समझा नहीं?
सियार(मॉम)-अरे बच्चा!तु एक मांसाहारी सियार है और तेरा पेट दो-चार मेंढक-मछलियों से तो भरने से रहा|फिर तु इस आभागिन के साथ क्यूं रहते हो?अच्छा होगा मैं इसे अकेले खा लूं|
सियार की अक्ल फिरी और वह भी मॉम के साथ राजी हो गया|
Plan. के मुताबिक सियार ने बहुत सारे बगुलों को पार्टी में आमंत्रित किया और अपने घर का गेट बंद कर खुब मजा मनाया|कई दिनों से भुःखा सियार भी मजे से खाया|सच ही तो कहते हैं मित्रता समानों में ही भली है|
कहानी पर आते हैं काफी पहले की बात है सियार और बगुले में गहरी मित्रता थी|बगुले से मित्रता करके सियार अपनी चालाकी स्वभाव भूल चुका था और दोनों मस्त enjoy, करते कभी सरोवर(तालाब) किनारे तो कभी नदिया तीरे|पर बगुला तो जल देख मचल उठता है और पानी में उतरते ही नन्हीं मछलियों का शिकार कर अपना पेट भर लेता है और सियार तो मछली पकड़ नहीं सकता दरअसल सियार पानी में जा ही नहीं सकता और खाना न खाना तो दूर की बात ठहरी|ऐसे ही कई दिन सियार को भु:खे ही सोने पड़तेपड़ते|बगुला चुपके से अपना पेट भी भर लेता और आकर पानी भी अपनी सुराही में
पीता|सियार बेचारा शाम को भी पानी नहीं पी पाता फिर भी है कि रिश्ते निभाता जा रहा था|एक दिन सियार की मां मेहमान आई और अपने बच्चे को बगुले के साथ पाकर ताज्जुब करने लगी|शिकार के साथ रहते हुए भी बेटा भु:खा है और उसने अपनी भाषा में बच्चे को कहा-अरे!मिंया छोटे शिकार के साथ रहकर भी हम भूःखे क्यूं हैं?क्योंकि हमने अपनी पहचान भूली है|
सियार(बच्चा)-मॉम!मैं कुछ समझा नहीं?
सियार(मॉम)-अरे बच्चा!तु एक मांसाहारी सियार है और तेरा पेट दो-चार मेंढक-मछलियों से तो भरने से रहा|फिर तु इस आभागिन के साथ क्यूं रहते हो?अच्छा होगा मैं इसे अकेले खा लूं|
सियार की अक्ल फिरी और वह भी मॉम के साथ राजी हो गया|
Plan. के मुताबिक सियार ने बहुत सारे बगुलों को पार्टी में आमंत्रित किया और अपने घर का गेट बंद कर खुब मजा मनाया|कई दिनों से भुःखा सियार भी मजे से खाया|सच ही तो कहते हैं मित्रता समानों में ही भली है|