यह कथा किवंदितीयों पर आधारित है भले आज हम सब न्यूक्लियर फैमिली जेनरेशन के लोग हैं अपितु कभी-न-कभी तो हमने अपने दादा-दादी,नाना-नानी से कहानी सुनी ही है बस वही कहानी मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ|
नंदनवन में एक गोमु नामक सियार रहता था|वह एक दिन भूख-प्यास से बेहाल हो कर इधर-उधर इस बात की टोह में भटक रहा था कि कहीं कुछ मिले तो अपना पेट भरे|भटकता हुआ वह जंगल के ऐसे भाग में पहुंचा जहां कुछ समय पहले युध्द हुई थी|वहां पर कुछ खांच-खरोच के अलावा एक नगाड़ा उसे पास की झाड़ी पर दिखा|उस वक्त शनै:शनै: हवा चल रही थी जिससे झाड़ी की टहनियां बार-बार नगाड़े से टकरातीं जिससे वह बजने लगता|नजदीक पहुंचते यह विचित्र आवाज बार -बार सुनाई देता|ऐसी आवाज उसने आज पहली दफा सुनी थी|वह मारे भय के कांपने लगा और ठिठक कर खड़े होकर सोचने लगा जानवर की आवाज तो इतनी तेज है फिर जानवर तो भयानक होगा और देखते ही खा जायेगा|वह सोचता रहा कि अब झपट्टा मारे की तब|उसे सूझ नहीं रहा था कि आखिर करे तो क्या करे?उसके मन में विचान आया कि वह दूबक कर निकल ले और प्राण बचने कि खैर मनाऐ|
वह भागने कि सोच ही रहा था कि उसके मन में विचार आया कि किसी संकट का आभास पाकर झट भाग खड़े होने में होसियारी नहीं है|इसकी छानबीन अवश्य कर लेनी चाहिए|क्योंकि,भय या हर्ष में जो सोच सकता है उसे पछताना तो नहीं पड़ता|
यह विचार आने पर वह ठान लिया कि वह पता लगाय़ेगा कि आवाज कहां से आ रही है!जी रोक कर वह दबे पांव से नगाड़े की ओर बढ़ा|ध्यान से देखा तो आवाज नगाड़े से आ रही थी|उसकी हिम्मत बढ़ गई वह उसके और समीप पहुंचा|अब उसे कोई सुगबुगाहट नहीं दिखी|फिर क्या वर जान हथेली पर रखकर अपना एक हाथ उस पर जमा लिया|थाप लगने से वही आवाज आई|अब डर नहीं रहा|इतना मोटा व गदराया हुआ जानवर उसकी आगोस में था|जिभ लपलपा कर कहने लगा आज तो जी भर खून पियेगा|
उसने जैसे-तैसे उस नगाड़े के चमड़े को काट कर छेद बनाया|चमड़ा मोटा और सूखा तो था ही,तना हुआ भी था,इसलिए उसे जोर लगाना पड़ रहा था|अब वह खोल के अंदर इस उम्मीद से घुसा कि अब तो मजे से खायेगा पर ये क्या वह तो फंस गया और चिल्लाने लगा|यह शोर सुन एक शेर पहुंचा और उसका शिकार कर लिया|