रास्ता अपना

Wednesday 7 October 2015

राह का रोड़ा

आज कुछ ऐसे उदाहरण से आपको रुबरु कराऊँगा जिसे मैंने मेट्रोपॉलिट्न सिटी दिल्ली में रहकर अनुभव किया|
           ध्यान रखना मैं एक छोटी सी बात बता रहा हुं लेकिन इससे आपके जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या का हल यूं ही निकल आयेगी|
        मैंने देखा कि मॉनसून सीजन में दिल्ली की औसत तापमान 18°C के ईर्द-गिर्द ही रहती है जबकि बिल्कुल इसी स्तर की तापमान विण्टर यानी ठण्डे में भी रहती है लेकिन क्यों हम किसी एक सीजन में थर्मल वियर तो दूसरे में रेन वियर पहनते हैं जबकि दोनों ही सीजन में तापमान लगभग बराबर हैं|
         वैग्यानिक कारण जो भी हो उसे उपेक्छित कर मैं बचपन से हमारे अंदर भरी गई सोच को उजागर करना चाह रहा हुं क्योंकि मम्मी ने कहा है कि बेटे ऐसे मत निकला कर ठण्ड लग जाएगा|ऐसे कपड़े मत पहन जब तु भीग जाऐगा तो सूखेगा नहीं|
               हमारे राह का असली रोड़ा तो यही है हमारे अंदर भरी गई बातें|दोस्तों ऐसे ही कई बुराईयां हमारे अंदर भरी हैं जिन्हें हमारे पूर्वज बगैर कोई तर्क किये अपनाते गये और हम को स्थानांतरित करते गये और यही बातें हमारी कल्चर भी बनीं|
     सो आपसे रिक्वेस्ट है कि जरा सा तार्किक रहें और  लाईफस्टाईल बदलें|
                          धन्यवाद
             प्रस्तुति:विवेक खेस्स

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