रास्ता अपना

Saturday 8 November 2014

धूएँ छोड़ने वाली चिड़िया

                एक बार की बात है गर्मी की छुट्टियों पर जॉनी,करिश्मा,अंजन और एरनी अपने गांव गये|घर पहुंचने के बाद उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ और चूंकि सभी बच्चे थके थे|इसलिए उन्हें आराम करने दिया गया और जब वे नींद से जागे तो सूर्यास्त होने को था अब थोड़ी देर चारों बच्चे गांव के बच्चों के साथ मिलकर खेलने लगे|शाम होने लगी तो सभी बच्चे कल भी मिलकर इसी तरह खेलने का वादा कर अपने-अपने घर चल दिए|चारों मेहमान बच्चे भी  दादी के घर पहुंचकर फ्रेश हो लिए अब उन्होंने अपनी दादी मॉ से कहानी सुनाने को कहा और दादी मॉ  अपने पोते-पोतियों को कहानी सुनाने लगी|
       दादी मां(कहानी सुनाते हुए): बच्चो एक बार कि बात है हमारे बगीचे में एक मैंना अपने दो नन्हे बच्चों के साथ रहती थी|मैंना सुबह होते ही बच्चों को घोसले पर ही छोड़ कर चारे(भोजन)की तलाश में निकल जाती और चारे मिलने पर बगैर अपनी पेट भरे अपने बच्चों के पास आती और सभी मिल बॉंट कर खाते|ऐसा सिर्फ एक दिन ही नहीं होता बल्कि कई दिनों से चलता आ रहा था|बच्चे अब बड़े हो गये थे तो मैंना ने उन्हें उड़ने सिखने को कहा पर बच्चे मम्मी से उड़ते वक्त गिर जाएंगे  कह कर मम्मीं की यह बात टाल देते|अब मैंना थकने लगी थी क्योंकि उम्र ने जवाब दे दिया था|और बच्चों का पेट भरते थक चुकी थी|उससे रहा नहीं गया तो उसने आज बच्चों को उड़ना सिखाने का सोचा और सुबह होते ही उन्होने घोसले के गेट पर खड़े होकर कहा- बच्चो आज हमारे घर सुबह-सुबह मेहमान आये हैं जल्दी से मिलने आ जाओ और बच्चों के आते ही मैंना ने उन्हें घोसले से धक्का दे दिया|मैंना के बच्चों का क्या हुआ ये तो बाद की बात है पर कहानी सुनने वाले बच्चों के होश बिल्कुल उड़ गये और वे एक दुसरे को देखने लगे तभी करिश्मा से रहा नहीं गया और उन्होंने दादी मां से कहा फिर क्या हुआ?
           दादी मां-एक बच्चे ने तो पंख फड़फड़ाकर उड़ना सिख लिया पर दुसरे कि तो जान निकल आई थी कि तभी उनकी मां(मैंना) ने उसे अपनी पिठ पर कैच कर लिया और वे तीनों उड़ने लगे एक बच्ची मम्मी की पीठ पर तो दुसरा मम्मी के साथ-साथ|उसी वक्त भयंकर शोर-शराबे के साथ एक हेलिकॉप्टर उन चिड़ियों को पछाड़ते हुए आगे निकल गया|बच्ची तो वैसे भी डरी हुई थी ये नजारा देख वो और भी सहम गई|जब उसकी जान में जान आया तो उन्होंने अपनी मम्मीं(मैना) से पूछा-मम्मीं ये "धूएँ छोड़ने वाली चिड़िया" हमसे तेज कैसे उड़ रही है?
मैंना(समझाने वाले लहजे मे)-बेटा!!देखो?उस "धूएँ छोड़ने वाली चिड़िया" को कहीं पहुंचना है|इसपर बच्ची चिड़िया संतुष्ट नहीं हुई और उन्होंने पूछा-मम्मी ये कहीं पहुंचने का तेज गती से उड़ने के साथ क्या संबंध्द है?
मैंना-बेटा जिसे जिंदगी में कहीं पहुंचना होता है उसके अन्दर पहुंचने की बहुत चाह होती है और यही चाह उसकी आग है जिसके जलने पर उसके पीछे से धुआं निकलती है और यही धुआं उस चिड़िया की गती तेज कर देती है|अब मैंना ने कहा देखो हमैं न कहीं पहुंचना है न कहीं जाना इसलिए हमने अपना birth right यानी उड़ना भी नहीं सिखा|यह सुन बच्चे के अन्दर टिस होने लगी वह खुद से पूछने लगा-क्या मैं सारी जिन्दगी अपनी मां के पीठ पर बैठ कर दुनिया घूमुंगा?फिर सोचने लगा कि मम्मी तो हमसे बड़ी है और कुछ दिन बाद तो वो हमें छोड़कर चली जाएगी|उसकेअन्दर भी अब कहीं पहुंचने,कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति जाग चूकि थी|बच्चे ने मां कि पीठ पर से ही पंख उठाया और एक झटके में वह उड़ने लगा|कहानी सुनने वाले बच्चों ने अब चैन कि सांसे ली|दादी मां ने उन्हे कहा-बच्चो हमें भी अपने सम्भावित शक्तियों को पहचानना होगा और लछ्य(AIM) को हासिल करने के लिए इसी वक्त कदम उठाना होगा|कहानी का सार तो दादी मां ने कह दिया अब मुझे कुछ कहने की आवश्यकता नहीं|
                        With hopefully
                            VIVEK XESS
      "रास्ता अपना बनाओ,उसे अपनाओ"

Sunday 2 November 2014

अनहोनी!जिसे होनी ही थी.

             धन-वैभव,सुख समृद्धि से सम्पन राजपरिवार अपने राजमहल में सेवकों के साथ शान-ऐ-शौकत के साथ जीवन व्यतित कर रहा था|
                      राज्य में उस बरस बारिश नहीं हुई जिससे फसल खेतों में ही सूख गये और राज्य की दशा भोजन के लिए हहाकार और त्राही-त्राही के रूप में अभिव्यक्त हुई|यह देख राजपुत्री से रहा नहीं गया और उसने राजभ्रमण की इच्छा जाहिर की|अगले दिन राजदरबार
से आदेश जारी हुई जिसमें राजपुत्री के रास्ते पर चमडे की चादर बिछाने की बात कही गई थी|चूंकि यह राजाग्या थी सो क्रियान्वयन के स्तर पर कोई कोताही नहीं बरती गई|
          चमडे की चादर बिछाने के क्रम में एक दिन राज्य के चमडे की गोदाम खाली हो गई चूंकि राजपुत्री की टोली निकल चूकि थी सो राज मंत्रीयों ने राज्य के गाय,भैंस और अन्य पशुओं को  चमडे प्राप्त करने के लिए मारने की इजाजत दी|एक फकीर से यह देख रहा नहीं गया वह राजदरबार में सलाह लेकर पहुंचा|व्यक्ति:   हे राजन!(साष्टांग प्रणाम कर) राजपुत्री की खुशी के लिए आज  राज्य की समृद्धि समझे जाने वाले पशु मारे जा रहे हैं क्यों न राजपुत्री के पैरों पर चमडे लपेट दी जाये| राजा को यह  सलाह नगवार गुजरा और उस फकीर को फांसी दे दी गई|
     राजपुत्री की टोली आगे बढ़ती रही और बेजुबान,बेकसूर जानवर मारे जाते रहे|एक दिन ऐसा आया कि राज्य के जानवर भी न रहे.|तभी राजा की अकल फिरी और पुत्री के पैर पर चमड़े लपेटे गये और राजभ्रमण तो सफल हुआ लेकिन ये क्या राज्य में अब न समृद्धि रही न प्रजा...
              दोस्तो आज के हमारे जूते की विचार उस फकीर की थी.आखिर जो "अनहोनी!जिसे होनी ही थी" वो अच्छे के लिए हुआ...हमारे life में भी कुछ-कुछ अनहोनी हो जाती है घबरायें नहीं एकान्त ढुंढे और कोशिश करें ढुंढने की|कि यह घटना किस ओर इंगित कर रहा है और right time में right decision लें||
                
                      With hope
       'रास्ता अपना बनाओ,उसे अपनाओ'