रास्ता अपना

Sunday 14 December 2014

बरगद :बिन तेरे

बिन तेरे मेरा अस्तित्व नहीं,
ठूंठ बन चुका होता कब का ,तुमने मुझे संभाला||
         बिन तेरे मेरा अस्तित्व नहीं,
    आज इतना विशाल हुँ तो सिर्फ तुमसे|
       तेरी नरमी से,पैर मेरे मजबुत हुए,
    खड़ा हो सका हुँ तो तेरी मेहरबानी पर||
बगैर मेरे तेरा अस्तित्व तो था ही पर तुमने अपना आहार मुझे है खिलाया||
बेशक आज मैं भी तेरे जीवन में महत्व रखता हुँ क्योंकि अपरदन होने से मैने ही तुम्हें है रोका||
सैंकड़ों राहगिर की पनाह हुँ मैं
सैंकड़ों चिड़िया मु़झ पर घोंसले बनाते पर
इन सभी का बोझ तु खुद ही उठाती||
मेरी डालियों की बोझ इतनी है कि चारों तरफ से मैं तुम्हें बेधुँ फिर भी  तु न कराहे,
मुझपर फल लगें तो पशु-पक्छी बरगद खाने आते हैं न कि जमीन नामक कोई फल खाने||
ये सब सुन तुम्हें कितना बुरा लगता होगा?
पर ये तेरी मान नहीं रखते बल्कि तुझे अपनी सम्पति;जायदाद समझते हैं
बिन तेरे मेरा अस्तित्व नहीं
पर मैं मूक हुँ अन्यथा ऐसा सबक सिखाता कि दुबारा हम पर जुल्म न होता||

Saturday 15 November 2014

Once upon time in Delhi metro

                  शाम का वक्त मेट्रो स्टेशन पर भीड़ की कमी साफ तौर पर देर रात को बयॉं कर रही थी और न सिर्फ मुझे बल्कि हर किसी को शाम होते ही घर पहुंचने की जल्दी होती है और स्वभाविक भी है क्योंकि घर ही तो वह जगह है जहां दिन भर की थकान से सुकून मिलती है|
                     मेट्रो डेस्टीनेशन बोर्ड(LED screen) में your next train after 4minute देख मैं जरा सुस्ताने कि सोचा और platform से जरा सा हट कर दीवार के सहारे खड़े होकर आंखे बंद कर लिया|इतना होते ही मेरा दीमाग Zone of Comfort में चला गया और मैं इसी Zone में खोया रहा इस कदर कि'''... ,.....   बताता हुँ धैर्य रखो|
                           मेरे कानों में आवाज आई:-बाबू!!मालवीय नगर किधर से
जाएगी??आवाज जरा काफी तेज थी|यहाँआपको और एक बात बताता हुँ दिल्ली मेट्रो में कौनसी गाड़ी कहॉं जाएगी ये नहीं पूछा जाता क्योंकि स्टेशन दो भागों में बंटी होती है और यदि आप सही साइड पर खड़े हो तो मेट्रो आपको आपके destination तक पहुंचा देती है इसलिए मुझसे जो सवाल पूछा गया था वह जाहिर सी बात थी|अब मुद्दे पर लौटते हैं आवाज तेज होने के कारण मैं Zone of Comfort से चौंकते हुए आंखे खोला तो मेरे चेहरे के सामने एक चेहरा नजर आया|उनका चेहरा मेरे चेहरे से इतना करीब था जितना कि हम अपने close friend से interact करते हैं फिर मैं अपने में remind करने लगा और उन्हें surely बता दिया कि आपको यहीं से मेट्रो मिलेगी|इतने में मुझे metro station पर enter करती हुई दिखी तो मैंने बाबा(पापा) कह कर इसारे से चलने को कहते हुए welcome किया क्योंकि मैं समझ चुका था कि वे पहली दफा ही metro में travel कर रहे है|मैं Google map(GPS) open करते हुए उनसे कहा कि 2minute ठहरिए मैं आपको सारी details देता हुँ|मेरी नजर screen पर focus रही|जब details मिल गई तो मैंने सिर उठाया और चारों ओर नजरें दौड़ाने लगा|यह देख seat पर बैठे सज्जन समझ गये कि मैं अपने साथ खड़े व्यक्ति को ढुंढ रहा हुँ तो उन्होने नजरें दौड़ा कर ही मुझे इसारा कर दिया मैंने काफी दूर जाते हुए उस व्यक्ति को देखा|पहनावे और
सोच से तो मुझे वो stereotype लगे|
                    अब मैं मनन करने लगा और मुझे feel हुई कि मुझमें इतनी अव्यवहारिकता है जो मैं एक व्यक्ति को convince नहीं कर सका फिर जरा उल्टा सोचा कि व्यक्ति ने मुझे gadget किड़ा समझा होगा या फिर irresponsible. But I'm sure कि उसने मुझे gadget किड़ा ही समझा होगा क्योंकि मैं उस अनजान व्यक्ति से interact करते वक्त  GPS पर  Malviya nagar  track कर रहा था|
                  खैर जो भी हो मेरी मंशा उन्हें misguide करने कि बेशक नहीं थी|मैं तो उन्हें GPS के through official information देना चाह रहा था|इस आपबिती के जरिए मैं आपको यह बताने कि कोशिश कर रहा हुँ कि हम सब तो technology को अपने से आत्मसात(assimilate) कर लिए पर समाज का काफी बड़ा तबका उस strange person वाली mentality से दो चार हो रहा है और अपनों के बीच ही पराया feel कर रहा है reason is clear they dominated only and only Stereotype mentality..and we cannot change their attitude so focus on forthcoming generation.
                           With hopefully
                               VIVEK XESS
       "रास्ता अपना बनाओ,उसे अपनाओ"

Saturday 8 November 2014

धूएँ छोड़ने वाली चिड़िया

                एक बार की बात है गर्मी की छुट्टियों पर जॉनी,करिश्मा,अंजन और एरनी अपने गांव गये|घर पहुंचने के बाद उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ और चूंकि सभी बच्चे थके थे|इसलिए उन्हें आराम करने दिया गया और जब वे नींद से जागे तो सूर्यास्त होने को था अब थोड़ी देर चारों बच्चे गांव के बच्चों के साथ मिलकर खेलने लगे|शाम होने लगी तो सभी बच्चे कल भी मिलकर इसी तरह खेलने का वादा कर अपने-अपने घर चल दिए|चारों मेहमान बच्चे भी  दादी के घर पहुंचकर फ्रेश हो लिए अब उन्होंने अपनी दादी मॉ से कहानी सुनाने को कहा और दादी मॉ  अपने पोते-पोतियों को कहानी सुनाने लगी|
       दादी मां(कहानी सुनाते हुए): बच्चो एक बार कि बात है हमारे बगीचे में एक मैंना अपने दो नन्हे बच्चों के साथ रहती थी|मैंना सुबह होते ही बच्चों को घोसले पर ही छोड़ कर चारे(भोजन)की तलाश में निकल जाती और चारे मिलने पर बगैर अपनी पेट भरे अपने बच्चों के पास आती और सभी मिल बॉंट कर खाते|ऐसा सिर्फ एक दिन ही नहीं होता बल्कि कई दिनों से चलता आ रहा था|बच्चे अब बड़े हो गये थे तो मैंना ने उन्हें उड़ने सिखने को कहा पर बच्चे मम्मी से उड़ते वक्त गिर जाएंगे  कह कर मम्मीं की यह बात टाल देते|अब मैंना थकने लगी थी क्योंकि उम्र ने जवाब दे दिया था|और बच्चों का पेट भरते थक चुकी थी|उससे रहा नहीं गया तो उसने आज बच्चों को उड़ना सिखाने का सोचा और सुबह होते ही उन्होने घोसले के गेट पर खड़े होकर कहा- बच्चो आज हमारे घर सुबह-सुबह मेहमान आये हैं जल्दी से मिलने आ जाओ और बच्चों के आते ही मैंना ने उन्हें घोसले से धक्का दे दिया|मैंना के बच्चों का क्या हुआ ये तो बाद की बात है पर कहानी सुनने वाले बच्चों के होश बिल्कुल उड़ गये और वे एक दुसरे को देखने लगे तभी करिश्मा से रहा नहीं गया और उन्होंने दादी मां से कहा फिर क्या हुआ?
           दादी मां-एक बच्चे ने तो पंख फड़फड़ाकर उड़ना सिख लिया पर दुसरे कि तो जान निकल आई थी कि तभी उनकी मां(मैंना) ने उसे अपनी पिठ पर कैच कर लिया और वे तीनों उड़ने लगे एक बच्ची मम्मी की पीठ पर तो दुसरा मम्मी के साथ-साथ|उसी वक्त भयंकर शोर-शराबे के साथ एक हेलिकॉप्टर उन चिड़ियों को पछाड़ते हुए आगे निकल गया|बच्ची तो वैसे भी डरी हुई थी ये नजारा देख वो और भी सहम गई|जब उसकी जान में जान आया तो उन्होंने अपनी मम्मीं(मैना) से पूछा-मम्मीं ये "धूएँ छोड़ने वाली चिड़िया" हमसे तेज कैसे उड़ रही है?
मैंना(समझाने वाले लहजे मे)-बेटा!!देखो?उस "धूएँ छोड़ने वाली चिड़िया" को कहीं पहुंचना है|इसपर बच्ची चिड़िया संतुष्ट नहीं हुई और उन्होंने पूछा-मम्मी ये कहीं पहुंचने का तेज गती से उड़ने के साथ क्या संबंध्द है?
मैंना-बेटा जिसे जिंदगी में कहीं पहुंचना होता है उसके अन्दर पहुंचने की बहुत चाह होती है और यही चाह उसकी आग है जिसके जलने पर उसके पीछे से धुआं निकलती है और यही धुआं उस चिड़िया की गती तेज कर देती है|अब मैंना ने कहा देखो हमैं न कहीं पहुंचना है न कहीं जाना इसलिए हमने अपना birth right यानी उड़ना भी नहीं सिखा|यह सुन बच्चे के अन्दर टिस होने लगी वह खुद से पूछने लगा-क्या मैं सारी जिन्दगी अपनी मां के पीठ पर बैठ कर दुनिया घूमुंगा?फिर सोचने लगा कि मम्मी तो हमसे बड़ी है और कुछ दिन बाद तो वो हमें छोड़कर चली जाएगी|उसकेअन्दर भी अब कहीं पहुंचने,कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति जाग चूकि थी|बच्चे ने मां कि पीठ पर से ही पंख उठाया और एक झटके में वह उड़ने लगा|कहानी सुनने वाले बच्चों ने अब चैन कि सांसे ली|दादी मां ने उन्हे कहा-बच्चो हमें भी अपने सम्भावित शक्तियों को पहचानना होगा और लछ्य(AIM) को हासिल करने के लिए इसी वक्त कदम उठाना होगा|कहानी का सार तो दादी मां ने कह दिया अब मुझे कुछ कहने की आवश्यकता नहीं|
                        With hopefully
                            VIVEK XESS
      "रास्ता अपना बनाओ,उसे अपनाओ"

Sunday 2 November 2014

अनहोनी!जिसे होनी ही थी.

             धन-वैभव,सुख समृद्धि से सम्पन राजपरिवार अपने राजमहल में सेवकों के साथ शान-ऐ-शौकत के साथ जीवन व्यतित कर रहा था|
                      राज्य में उस बरस बारिश नहीं हुई जिससे फसल खेतों में ही सूख गये और राज्य की दशा भोजन के लिए हहाकार और त्राही-त्राही के रूप में अभिव्यक्त हुई|यह देख राजपुत्री से रहा नहीं गया और उसने राजभ्रमण की इच्छा जाहिर की|अगले दिन राजदरबार
से आदेश जारी हुई जिसमें राजपुत्री के रास्ते पर चमडे की चादर बिछाने की बात कही गई थी|चूंकि यह राजाग्या थी सो क्रियान्वयन के स्तर पर कोई कोताही नहीं बरती गई|
          चमडे की चादर बिछाने के क्रम में एक दिन राज्य के चमडे की गोदाम खाली हो गई चूंकि राजपुत्री की टोली निकल चूकि थी सो राज मंत्रीयों ने राज्य के गाय,भैंस और अन्य पशुओं को  चमडे प्राप्त करने के लिए मारने की इजाजत दी|एक फकीर से यह देख रहा नहीं गया वह राजदरबार में सलाह लेकर पहुंचा|व्यक्ति:   हे राजन!(साष्टांग प्रणाम कर) राजपुत्री की खुशी के लिए आज  राज्य की समृद्धि समझे जाने वाले पशु मारे जा रहे हैं क्यों न राजपुत्री के पैरों पर चमडे लपेट दी जाये| राजा को यह  सलाह नगवार गुजरा और उस फकीर को फांसी दे दी गई|
     राजपुत्री की टोली आगे बढ़ती रही और बेजुबान,बेकसूर जानवर मारे जाते रहे|एक दिन ऐसा आया कि राज्य के जानवर भी न रहे.|तभी राजा की अकल फिरी और पुत्री के पैर पर चमड़े लपेटे गये और राजभ्रमण तो सफल हुआ लेकिन ये क्या राज्य में अब न समृद्धि रही न प्रजा...
              दोस्तो आज के हमारे जूते की विचार उस फकीर की थी.आखिर जो "अनहोनी!जिसे होनी ही थी" वो अच्छे के लिए हुआ...हमारे life में भी कुछ-कुछ अनहोनी हो जाती है घबरायें नहीं एकान्त ढुंढे और कोशिश करें ढुंढने की|कि यह घटना किस ओर इंगित कर रहा है और right time में right decision लें||
                
                      With hope
       'रास्ता अपना बनाओ,उसे अपनाओ'
           

Sunday 19 October 2014

SMARTPHONE USER MUST READ

          Today everyday life is more easily &intelligent since 1990s.it is possible with smartphone useful  app.These app made our life very vulnerable from easily accessible by any third party.
                Recently,snap chat leak,Billions of rupee stollen from India last year like incident remarked our mistake.
         Guys never forget these fact warn any further incidents.
Further moving ahead let's remind you one more thing we all know before install app those app ask a small set of permission.. most of the people never read and who read these but never understand who understood these but never follow in reality.ex:whenever you want to a PHOTO Sharing app install and after click install button you get App permission in your screen.And you found out one of thing those app want to permit    access your Album this app is fake and you have no more option to regret these app.Some of developer write fake review for promotion of their app.
                 Lastly one incident happened in my life I share with you.I gone A Hardware shop to purchase building material and one of the plumber worker with me for helping me.After purchase I said to worker:you go and start your work in my  home.After sending worker with material I informed my Sister to alert and capture some images of hardware material which is carried by Plumber worker..after capturing share with me those pics..she replied me OK.I relaxed and after complete my  personal work.I back home.Plumber worker also completed my home plumber work.So I paid him.After completion of work some material बच गया उसे लेकर मैं दूकान वापस करने गया तो मुझे मालूम हुआ कि सारे materials local company के हैं जबकि मैने branded company के material खरीद थे|
             सो ऐसा आपके साथ न हो इसके लिए आपको भी intelligent work करना होगा...
                                with hope
                                  VIVEK XESS

Tuesday 14 October 2014

Buy 1 get 1 free

ADVERTISMENT "BUY 1 GET 1 FREE"
          off course!!these type of group of words using by Sellers for attracting customers.. but here I'm telling you all guys this is not possible at any cost and well known fact is the companies are founded for benefit not loss.
          Today the trend of
" जो दिखता है वाे बिकता है". strategies is how to create more and more customer so they follow above quoted words.Before effective   globalisation in india,Indian market market dominated by MARUTI but after globalisation we see there is a lot of foreigners cars in there with good features,good services provided by them and they have advertise their cars and today we see their products popular in India also.here one other thing,advertising of product is came from west.
         the same fact is followed by retailers, wholesaler.So not only these festive season but always remember..and they levied their loss at any cost.